
Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
वास्तु शास्त्र का हमारे घर और जीवन में विशेष महत्व होता है। साथ ही किसी भी चीज को सही जगह और सही दिशा में रखने के वास्तु नियम बने हैं, जिनका पालन करके आप अपने जीवन में खुशियां ला सकते हैं। इसी के साथ जब भी किसी नए घर के निर्माण की बात आती है तो लोग वास्तु शास्त्र को महत्व देते हैं, क्योंकि वास्तु के अनुसार बना घर जातक के जीवन में सुख और समृद्धि के साथ शांति लाने का काम करता है। वैसे आपको बताते चलें कि बिल्डर वास्तु संगत बिल्डिंगों का निर्माण बिना वास्तु विशेषज्ञों की मदद के नहीं कर सकते। यही कारण है कि ज्यादातर लोग वास्तु के अनुरूप घर बनाने के लिए वास्तु विशेषज्ञों की मदद लेते हैं। अगर कोई बिल्डर द्वारा निर्मित घर लेना चाहता है, तो उसकी साज-सजाव वास्तु संगत कर घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन-संपदा को आकर्षित कर सकते हैं।आपको बता दें कि चार दीवार और छत से बने मकान को घर की संज्ञा नहीं दी जा सकती। एक मकान तब घर बनता है, जब उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस ऊर्जा को लाने में वास्तु शास्त्र आपकी मदद करता है। अगर आप ऐसे लोगों में शामिल हैं, जो वास्तु सिद्धांतों पर पूरा भरोसा करते हैं और नया मकान खरीदना चाहते हैं। ऐसे में आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिए घर। इसकी दिशा, इसमें इस्तेमाल होने वाले रंग, कैसा हो नए घर में फर्नीचर आदि से जुड़े सभी सवालों के जवाब। इन सवालों के जवाब पाकर आप आसानी से अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत कर सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का निर्माण करने के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना चाहिए जो जातक के जीवन से नकारात्मकता को दूर करने का काम करते हैं।
घर का मुख्य प्रवेश द्वार न केवल घरवालों के लिए प्रवेश बिंदु होता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और स्पंदन के लिए भी महत्पूर्ण माना जाता है। आपको बता दें कि घर का मुख्य द्वार उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम में होना चाहिए, क्योंकि इन दिशाओं को वास्तु शास्त्र में बेहद शुभ और आदर्श दिशाएं मानी जाती हैं। वहीं दूसरी ओर घर का मुख्य द्वार को दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व (पूर्व की ओर) दिशाओं में बनाने से बचना चाहिए, क्योंकि वास्तु अनुसार इन दिशाओं को शुभ नहीं माना जाता है।जब बात घर के प्रवेश द्वार की होती है, तो उसके निर्माण को लेकर भी आपको सजग रहना चाहिए। वास्तु विशेषज्ञों की मानें तो प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए बेहतर गुणवत्ता वाली लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही मुख्य द्वार के बाहर पानी से जुड़ी कोई भी सजावटी सामान का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रवेश द्वार के बाहर जूते का रैक या कूड़ेदान नहीं रखना चाहिए। साथ ही प्रवेश द्वार के पास जानवरों की कोई मूर्ति या तस्वीर भी नहीं लगानी चाहिए। वास्तु में ऐसा किया जाना अच्छा नहीं माना जाता।
वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार पर ऐसी चीज़ें रखनी चाहिए, जिससे घर में सकारात्मकता का वास होता है।
वास्तु शास्त्र में पूजा कक्ष के स्थान का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस जगह हम भगवान से प्रार्थना करते हैं और अपनी इच्छाओं को प्रकट करते हैं। पूजा कक्ष के लिए उत्तर-पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है क्योंकि यह दिशा घर में रहने वाले सभी सदस्यों के जीवन में सौभाग्य लाने का काम करती है।पूजा कक्ष के लिए ध्यान देने योग्य बातें
लिविंग रूम घर का वह स्थान है, जहां बाहर से आने के बाद आप सबसे पहले इस कमरे के अंदर अपना कदम रखते हैं। घर का यह हिस्सा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही यहां हम मेहमानों का स्वागत करते हैं और पूरा परिवार के साथ यहां पर समय बिताते हैं। वहीं लोग लिविंग रूम की सजावट पर काफी ध्यान देते हैं। इन दिनों वास्तु अनुसार लिविंग रूम की सजावट पर काफी ध्यान दिया जाने लगा है। दरअसल, वास्तु के अनुसार लिविंग रूम की साज-सज्जा करने से इसका सकारात्मक असर हमारे जीवन पर पड़ता है।
बता दें कि लिविंग रूम अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए। वास्तु के अनुसार नए घर में लिविंग रूम उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित होना चाहिए। इस कमरे में फर्नीचर की दिशा पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम होनी चाहिए। ऐसा करने से घर में कोई वास्तु दोष नहीं रह जाता है।लिविंग रूम के लिए ध्यान देने योग्य बातें-
आपका लिविंग रूम आपकी जीवनशैली, रहन-सहन के बारे में बहुत कुछ बताता है। आपके बारे में लोगों की पहली राय आपके लिविंग रूम से ही स्थापित होती है। इसलिए जरूरी है कि लिविंग रूम में आप जो भी साज-सजावट कर रहे हैं, उसमें उसके रंगों का विशेष ध्यान दें। वास्तु के अनुसार, घर के प्रत्येक कमरे के लिए विशिष्ट रंग निर्धारित होते हैं जो सकारात्मक ऊर्जा को लाने का काम करते हैं।वास्तु के अनुसार रंग विभिन्न प्रकार की ऊर्जा को आकर्षित करने का काम करते हैं। वहीं गहरे रंगों का उपयोग करने से बचें और इसके बजाय सफेद, क्रीम या हल्के रंगों का चयन करें। आप लिविंग रूम के लिए नीले, हरे या पीले जैसे रंगों पर भी विचार कर सकते हैं।
वास्तु के अनुसार बेडरूम का होना बहुत जरूरी होता है। सही दिशा में बेडरूम होने से इसका स्वास्थ्य और संंबंधों पर सकारात्मक असर पड़ता है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पूर्व दिशा स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है, जबकि दक्षिण-पूर्वी दिशा विवाहित दंपत्तियों के बीच झगड़े का कारण बन सकती है। इसके अलावा, अपने बेड को कमरे के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखाना चाहिए, जिसका सिर पश्चिम की ओर होना चाहिए।
बेडरूम के लिए निम्नलिखित वास्तु टिप्स
वास्तु के अनुसार रसोई का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। घर में रहने वाले लोगों को सक्रिय रहने की ऊर्जा इसी स्थान से प्राप्त होती है। ऐसे में जरूरी है कि नए घर में रसोई बनवाते समय आप सजग रहें। साथ ही वास्तु के नियम का पालन अवश्य करें ताकि घर में नकारात्मक ऊर्जाओं को अंदर आने से बाधित किया जा सके। साथ ही घर में सकारात्मकता, स्वास्थ्य और समृद्धि को आकर्षित किया जा सके। आपको बतात चलें कि वास्तु पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु के पांच तत्वों के बीच पूर्ण संतुलन को स्थापित करने का काम करता है। इसलिए नए घर में किचन बनवाते समय वास्तु शास्त्र के नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।वास्तु के अनुसार रसोई घर को दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाना बेहतर होता है। जबकि रसोई बनवाने के लिए उत्तर, उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशाओं से बचना चाहिए। साथ ही रसोई में उपकरण भी दक्षिण-पूर्व दिशा में ही रखे जाने चाहिए।वॉश बेसिन, पानी के पाइप और किचन ड्रेन के लिए उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा निर्धारित है क्योंकि पानी और आग विरोधी तत्व होते हैं, इसलिए किचन में वॉशबेसिन और कुकिंग गैस रखने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ऐसा करने से दुर्घटनाओं की आशंका में भी कमी आती है। इसके साथ ही रसोई में रखे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के रखने की दिशा भी वास्तु अनुसर सुनिश्चित होती है। इसमें अवन, माइक्रोवेव, जूसर आदि शामिल हैं। इन्हें क्रमश: दक्षिण पूर्व और दक्षिण दिशा में रखना चाहिए।
East – पूर्व | SE- दक्षिण पूर्व | South – दक्षिण | SW – दक्षिण पश्चिम | West – पश्चिम | Nw – उत्तर पश्चिम | North – उत्तर | NE- ईशान कोण
वास्तु के अनुसार बच्चों के कमरे को नए घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में डिजाइन करना चाहिए। बच्चों को दक्षिण या पूर्व की ओर सिर करके सोना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों का सौभाग्य आकर्षित होता है और उनका मन शांत होता है।
वास्तु के अनुसार नए घर में ध्यान कक्ष होना चाहिए, जहां चैन और सुकून से आत्मनिरीक्षण कर सके और अपने आध्यात्मिक विकास के लिए उच्च शक्ति से जुड़ सके।ध्यान कक्ष के लिए कुछ महत्पूर्ण वास्तु टिप्स
वास्तु शास्त्र के नियमों को घर के सभी कमरों पर लागू किया जाता है। इसमें सिर्फ दिशा, रंग ही शामिल नहीं होते हैं। इसमें कमरों के आकार पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। वास्तु के अनुसार घर के सभी कमरे सीधी रेखा में होने चाहिए और कमरों का आकार चौकोर या आयताकार ही होना चाहिए। किसी भी कमरे का आकार गोलाकार नहीं होना चाहिए। यहां तक कि घरों में गोलाकार फर्नीचर का उपयोग भी वास्तु में वर्जित है। इसे अनुपयुक्त माना जाता है।
जिन घरों में प्राकृतिक रोशनी नहीं आती है, वे घर सही नहीं होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने नए घर के सभी कमरों में रोशनी की उचित व्यवस्था करें। इसी तरह कमरों में वेंटिलेशन की व्यवस्था भी सही होनी चाहिए। वास्तु की मानें तो जिन नए घरों के लगभग सभी कमरों में उचित वेंटिलेशन और रोशनी की व्यवस्था होती है, ऐसे घरों में उन्नति की संभावना बहुत ज्यादा होती है। साथ ही ऐसा करने से घर में ऊर्जा के प्रवाह बना रहता है जो सकारात्मकता को बढ़ाती है।
वास्तु के अनुसार रंगों का बहुत गहरा महत्व होता है। घर के लिए वास्तु उन रंगों पर विशेष जोर देता है, जिनका उपयोग घर की साज-सजावट के लिए किया जाता है। इनमें गहरे रंगों के प्रयोग का सुझाव नहीं दिया जाता। इसके बजाय सकारात्मक वाइब्स का लाभ उठाने के लिए सफेद, पीले, गुलाबी, हरे, नारंगी, या नीले जैसे रंगों का चयन करें। मौजूदा नए घर के कमरे अनुसार कौन से रंग का उपयो गकरें और किनसे बचें।
| कमरा | वास्तु अनुसार उपयुक्त रंग | वास्तु अनुसार अनुपयुक्त रंग |
|---|---|---|
| मुख्य शयन कक्ष | नीला | लाल रंग के गहरे शेड्स |
| मेहमानों का कमरा | सफेद | लाल रंग के गहरे शेड्स |
| लिविंग रूम | सफेद य अन्य हल्के रंग | डार्क रंग |
| डाइनिंग रूम | हरा, नीला और पीला | धूसर या स्लेटी रंग |
| फॉल्स सीलिंग | सफेद या क्रीम | काला और धूसर |
| बच्चों का कमरा | सफेद | गहरा नीला और गहरा लाल |
| रसेाई | संतरी या नारंगी | गहरा स्लेटी, नीला, भूरा और काला |
| बाथरूम (शौचालय और टॉयलेट) | सफेद | किसी भी रंग का गहरा शेड |
| हॉल | पीला या सफेद | कोई भी गहरा रंग |
| पूजा घर | पीला | लाल |
| घर की बाहरी दीवार | पीले-सफेद, क्रीम | काला |
| मुख्य द्वार या प्रवेश द्वार | सफेद, सिल्वर या लकड़ी का रंग | लाल और गहरा पीला |
| अध्ययन कक्ष | हल्का हरा, नीला, सफेद | भूरा और स्लेटी रंग |
| बालकनी | हल्का नीला, क्रीम, हल्का गुलाबी और हल्का हरा रंग | स्लेटी और काला |
जब एक बार घर पूर्णरूप से तैयार हो जाता है, तो वहां रहने से पहले जरूरी है शुभ मुहूर्त देखकर वहां पूजा करवाई जाती है। इसके लिए ज्योतिषीय द्वारा शुभ दिन और शुभ तिथि निकलवाई जाती है। साथ ही घर में निवास करने से पहले वास्तु शांति के लिए विधिवत शांति हवन कराया जाना चाहिए और शुभ मुहूर्त में ही गृह प्रवेश करना चाहिए। ऐसा करना घर और परिवार के लिए शुभ माना जाता है।बता दें कि अगर शुभ समय में गृह प्रवेश किया जाए तो यह परिवार के लिए लाभदाय होता है जिससे नए घर में आने के बाद उनका जीवन सुखद हो जाता है। ऐसे मुहूर्त के लिए वसंत पंचमी, अक्षय तृतीया, गुड़ी पड़वा और दशहरा जैसे दिन शुभ माने गए हैं।
घर के लिए कौन सा वास्तु अच्छा है?घर के लिए वास्तु कहता है कि घर के प्रवेश द्वार के लिए ईशान कोण सबसे उपयुक्त दिशा है। बेडरूम के लिए यह दक्षिण-पश्चिम और किचन के लिए दक्षिण-पूर्व है। पूजा कक्ष के लिए यह घर का ईशान कोण होता है।क्या वास्तु का जीवन पर प्रभाव पड़ता है?हां, वास्तु शास्त्र हमारे जीवन का एक प्रमुख तत्व है। यह न केवल बड़ी समस्याओं को हल करने में मदद करता है बल्कि किसी के जीवन में समृद्धि के लिए भी माना जाता है।क्या होता है जब वास्तु गलत होता है?जब वास्तु गलत होगा तो आपका घर सभी नकारात्मक ऊर्जाओं से प्रभावित होगा जो बदले में मानसिक समस्याओं, स्वास्थ्य समस्याओं, वित्तीय समस्याओं और यहां तक कि मृत्यु का कारण बनता है।वास्तु शास्त्र के 5 तत्व क्या हैं?वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के लिए पांच तत्व वायु, जल, पृथ्वी, अंतरिक्ष और अग्नि हैं।
बेडरूम घर का वह कमरा होता है, जहां हम अपने पूरे दिन की थकान भूलकर सुकून की नींद लेते हैं। लेकिन कभी-कभी आपने नोटिस किया होगा कि तमाम बार कोशिश करने के बाद भी अच्छी नींद नहीं आ पाती। इसकी वजह आप काम के तनाव को मानते हैं। जबकि हकीकत यह है कि बेडरूम में अगर सही ऊर्जा न हो या वह संतुलित न हो, तो जातक को अच्छी नींद आने में समस्या हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने बेडरूम को बनाने से पहले वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को संपूर्ण रूप से मानें ताकि घर में अच्छी वाइब्स आ सकें। वैसे भी वास्तु शास्त्र, रहने की स्थिति में सुधार और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करता है। अगर बेडरूम में सब कुछ वास्तु अनुकूल हो तो वहां सकारात्मक माहौल उत्पन्न हो सकता है। वास्तु में सिर्फ बेडरूम की दिशा ही शामिल नहीं है बल्कि इसमें रंग, बेड की दिशा, बेडरूम में रखे डेकोरेटिव आइटम्स भी शामिल हैं।आगे बढ़ने से पहले वास्तु क्या है, इस संबंध में थोड़ा जान लेना आवश्यक है। वास्तु शास्त्र एक प्राचीन और पवित्र भारतीय विज्ञान है, जो तनाव मुक्त जीवन और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाता है। यह काम करने की स्थिति में सुधार करने में काफी मददगार है, यह जीवन के सभी क्षेत्रों में समृद्धि और सफलता लाता है। यह ऊर्जा प्रवाह में असंतुलन को दूर कर समृद्धि और सद्भाव को बढ़ावा देता है। वास्तु शास्त्र का काम सकारात्मक ऊर्जा और शक्तियों का विस्तार देना है ताकि हम जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकें।कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि घर के लिए वास्तु का बहुत महत्व होता है। बेडरूम के लिए भी वास्तु की अनदेखी नहीं की जा सकती। चूंकि वास्तु ऊर्जा की दिशाओं और प्रवाह को ध्यान में रखता है, इसलिए यह वास्तविकता पर आधारित है, न कि मान्यताओं पर। बेडरूम के लिए सही वास्तु समृद्धि और सद्भाव लाने के लिए महत्वपूर्ण पहलू है। मनुष्य अपने जीवन का लगभग 1/3 भाग सोने में व्यतीत करता है। इसलिए बेडरूम के लिए वास्तु के महत्व को नकारा नहीं जा सकता।
यहां पर आप अपने बेडरूम के लिए बेहतरीन वास्तु टिप्स प्राप्त कर सकते हैं। बेडरूम में वास्तु वैवाहिक जीवन में शांति, समृद्धि, परिजनों के बीच बेहतर संबंध, सामंजस्य और मजबूत प्रेम लाता है। इसके अलावा, यह आपको अच्छी और स्वस्थ नींद प्रदान करता है, जो आपके सभी तनावों और चिंताओं को दूर कर देता है। हम अपना ज्यादातर समय किसी अन्य कमरे की तुलना में बेडरूम में ही ज्यादा बिताते हैं।असल में बेडरूम आपकी आइडेंटिटी यानी पहचान होता है। यह आपके व्यक्तित्व को दर्शाता है। घर का यह कमरा आपके सपनों को असल जिंदगी में जगह देने के लिए प्रेरित करता है, साथ ही जीवनसाथी के साथ अंतरंगता को बढ़ावा देता है। इसके बावजूद देखने में यह आता है कि लोग बेडरूम पर उचित ध्यान नहीं देते हैं। बेडरूम का स्थान और उसकी दिशा वास्तु में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लिविंग रूम के लिए उत्तर दिशा शुभ मानी जाती है, इसलिए मास्टर बेडरूम के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा शुभ होती है। इस लेख में आप बेडरूम के लिए विभिन्न वास्तु टिप्स के साथ-साथ बेड की दिशा, फर्नीचर, खिड़की, बेडरूम का रंग आदि चीजों के बारें में विस्तार से जानेंगे।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम की सही दिशा घर का दक्षिण-पश्चिम कोना होना चाहिए। साथ ही बेड के सिरहाने के लिए सही दिशा दक्षिण या पूर्व की ओर है ताकि सोते समय आपके पैर उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर हों।बेडरूम में वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार बिस्तर लगाना महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह नींद की गुणवत्ता और परिवार के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। बेडरूम में वास्तु के अनुसार सोने की स्थिति या तो दक्षिण या पश्चिम होनी चाहिए। बेड को दक्षिण या पश्चिम में दीवार से सटाकर रखना चाहिए ताकि सोते समय आपके पैर उत्तर या पूर्व की ओर रहें।आपको बेडरूम के कोने में बिस्तर लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह स्वतंत्र रूप से नहीं होता है। वास्तु के अनुसार बेडरूम में बिस्तर की स्थिति कमरे के मध्य भाग में होनी चाहिए ताकि आने-जाने के लिए पर्याप्त जगह हो।
उत्तर दिशा में बेडरूम घर के सभी सदस्यों के लिए शुभ माना जाता है। यह उन युवा छात्रों के लिए विशेष रूप से बहुत भाग्यशाली है, जो नौकरी या व्यवसाय के अवसरों की तलाश में हैं। इसी तरह पूर्व दिशा में बेडरूम उन्हें तीव्र बुद्धि और पढ़ाई में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करेगा।कमरे में बिस्तर हमेशा आयताकार या चौकोर आकार का होना चाहिए। गोल या अंडाकार आकार के बिस्तरों के उपयोग से बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार आपके डबल बेड पर दो सिंगल गद्दे के बजाय एक सिंगल (डबल आकार) गद्दा होना चाहिए। यह भी सुनिश्चित करें कि बिस्तर लकड़ी का बना हो।शयनकक्ष कभी भी घर के केंद्र में नहीं होना चाहिए क्योंकि यह ‘ब्रह्मस्थान’ है, जो ऊर्जा का स्रोत है। केंद्र में एक निरंतर कंपन बल होता है और यह शयनकक्ष के कार्य के खिलाफ जाता है। वास्तु के अनुसार सौहार्दपूर्ण संबंध के लिए पत्नी को अपने पति के बाईं ओर सोना चाहिए।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार सोने के लिए जो वास्तु दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है, वह दक्षिण दिशा है। यानी सोते समय सिर दक्षिण की ओर और पैर उत्तर की ओर होने चाहिए। साथ ही उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोने से जातक को सौभाग्य और भाग्य की प्राप्ति के साथ-साथ लाभ भी होता है। आप वास्तु के अनुसार पूर्व की ओर पैर करके सो सकते हैं, क्योंकि इससे धन आगमन में वृद्धि होती है।लेकिन जो लोग उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोते हैं, उन्हें अच्छी नींद प्राप्त नहीं हो पाती। दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से बचें, क्योंकि यह आपको अच्छी नींद लेने से रोकता है। दक्षिण दिशा मृत्यु के देवता की दिशा मानी जाती है, इसलिए इस दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए। इससे आपका मन विचलित हो सकता है और हृदय संबंधी रोग भी हो सकते हैं।
आपको बता दें कि बेडरूम की छत भी वास्तु अनुसार होनी चाहिए। वास्तु के मुताबिक छत की ऊंचाई लगभग 10 फीट होनी चाहिए। यह ज्यादा छोटी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे हवा के संचार पर प्रभाव पड़ सकता है। आप ऐसे फॉल्स सीलिंग डिज़ाइन से बचें जो विषम हैं या नुकीले त्रिकोण के हैं या फिर जो फॉल्स सीलिंग लटके हुए हैं क्योंकि इससे मानसिक तनाव और नींद न आने की समस्या हो सकती है।एक छत जो ठीक बीचों से बीच से ऊंची होती है जबकि कोनों की ओर उसकी ऊंचाई कम होती है, उसे अच्छा माना जाता है। छत के डिजाइन पर कभी भी शीशे का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह बिस्तर को प्रतिबिंबित करता है, जो कि वास्तु के अनुसर वहां सो रहे है लोगों के लिए सही नहीं होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार छत सफेद या किसी हल्के रंग में होनी चाहिए क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और शांति की ओर ले जाती है। बेडरूम में रोशनदान की छत से बचें क्योंकि यह शांतिपूर्ण नींद में खलल डाल सकता है। इसके बजाय आरामदायक रोशनी का उपयोग कर सकते हैं।
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आपको बता दें कि शांति और समृद्धि के लिए फर्नीचर का सही स्थान बेहद आवश्यक है। साथ ही वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में फर्नीचर की सेटिंग करनी चाहिए ताकि जातक को किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो। आइए जानते हैं फर्नीचर लगाने के सुझाव:
वास्तु के अनुसार बेडरूम में टेलीविजन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मौजूद नहीं होने चाहिए, क्योंकि वे ऊर्जा को घर से बाहर भेजते हैं जो व्यक्ति की नींद में खलल डालते हैं।हालांकि अधिकांश लोगों के बेडरूम में टीवी होता है। अगर आपके बेडरूम में भी टीवी है, तो इसे दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें। वास्तु अनुसार टीवी को सोने की दिशा के पास रखना अच्छा नहीं होता है।टीवी को बिस्तर के सामने रखने से बचें, क्योंकि सोते हुए व्यक्ति का प्रतिबिंब अशुभ होता है। अगर किसी कारणवश आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, इससे बचने के लिए उपाय आजमा सकते हैं। इसके लिए रात को सोते समय टेलीविजन को किसी हल्के रंग के कपड़े से ढक दें।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
ताजे फूल और पौधे व्यक्ति के घर में सकारात्मक ऊर्जा लेकर आते हैं। बेडरूम के लिए वास्तु कहता है कि जितना संभव हो, उतने ताजे फूलों और पौधों का उपयोग करना चाहिए।कृत्रिम फूलों और मुरझाए हुए पौधों से बचना चाहिए क्योंकि वे कमरे की ऊर्जा और भावना को कम कर देते हैं। इसी के साथ मनी प्लांट बेडरूम के लिए काफी अच्छा माना जाता हैं।फूलदान के रंगों का चुनाव भी हमारे जीवन में सकारात्मकता को बहाल करेन हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए फूलदान के रंगों का सावधानी के साथ चुनाव करना चाहिए। विवाहित लोगों को लाल फूलदान का प्रयोग करना चाहिए, इससे उनके संबंधों में मजबूती आती है और प्रेम बढ़ता है। जबकि छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे पीले फूलदान का उपयोग करें, क्योंकि यह रंग ज्ञान का प्रतीक है।
आजकल लोग जगह की कमी के कारण घरों के बाथरूम और टॉयलेट आमतौर पर बेडरूम से अटैच्ड बनवाते हैं। वास्तु के अनुसार अगर बाथरूम गलत दिशा में हो, तो इससे स्वास्थ्य और आर्थिक परेशानी हो सकती है। जब बाथरूम बेडरूम से जुड़ा होता है, तो बेडरूम घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित होना चाहिए। अन्य उपयुक्त दिशाएं दक्षिण या पश्चिम हैं। आप यह सुनिश्चित करें कि बाथरूम का दरवाजा हमेशा बंद रखा जाए, क्योंकि खुले बाथरूम का दरवाजा बेडरूम की आभा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।बिस्तर को बाथरूम या टॉयलेट की जगह के करीब नहीं रखना चाहिए। एक छोटे से फ्लैट में यदि यह संभव नहीं है, तो अपने बिस्तर की पॉजिशन को इस तरह बदलें कि वह बेडरूम में बाथरूम की दीवार से जुड़े नहीं ताकि नकारात्मक ऊर्जा से बचा जा सके।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
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वास्तु के अनुसार अगर परिवार में एक विवाहित जोड़ा है और बाकी सभी सदस्य अविवाहित हैं, तो मास्टर बेडरूम में विवाहित जोड़े को ही रहना चाहिए।
वास्तु के अनुसार बुकशेल्फ़ या कार्यालय डेस्क को पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम कोने में रखा जाना चाहिए। काम और निजी जीवन को अलग करने के लिए बेडरूम के खाली जगह छोड़ने की सलाह दी जाती है।
वास्तु के अनुसार बालकनी बेडरूम के पूर्वी या उत्तरी हिस्से में होनी चाहिए। गोल बालकनियों से बचें क्योंकि इस तरह की बालकनी वहां रहने वालों के लिए कई समस्याएं पैदा करते हैं। पूर्व-पश्चिम दिशा में एक झूला लगाया जा सकता है। सकारात्मकता के लिए बालकनी को अच्छी तरह से रोशन करें। छोटे पौधे बालकनी के उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखे जा सकते हैं। बालकनी की ग्रिल हमेशा जंग मुक्त होनी चाहिए। बालकनी में अवांछित चीजें रखकर ऊर्जा के प्रवाह को अवरुद्ध न करें।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
वास्तु के अनुसार सूर्य के प्रकाश का कमरे की सकारात्मकता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। दिन में कुछ समय के लिए बेडरूम को प्राकृतिक रोशनी में आने दें। हालांकि, टास्क-लाइटिंग आपके दिमाग को टास्क-मोड में जाने के लिए प्रेरित करती है। एक सुखदायक माहौल बनाने के लिए मद्धिम रोशनी वाली लाइटों का चयन करें। बेडरूम में अगर कोई बल्ब खराब हो जाए, तो उन्हें तुरंत बदल दें।बेडरूम में पर्याप्त रोशनी रखें। रोशनी पूरे कमरे में एक जैसी होनी चाहिए। ऐसा न हो कि कमरे के एक तरफ अंधेरा है और दूसरी तरफ उजाला। असमान रोशनी घर में नकारात्मकता के प्रवाह को बढ़ा सकती है। अगर संभव हो, तो उत्तर और पूर्व की दीवारों की तरफ लाइट फिटिंग करवाएं, क्योंकि उत्तर-पूर्व से निकलने वाली रोशनी समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है।
बुजुर्ग सदस्य के बेडरूम को पीले, सफेद, हरे या नीले रंग जैसे सुखदायक रंगों से डिज़ाइन करें। परिवार के मुखिया का बेडरूम दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण में होना चाहिए। साथ ही वरिष्ठ लोगों के लिए उत्तर पूर्व, पूर्व या उत्तर में भी एक कमरे का उपयोग कर सकते हैं।बेड का सिरा पूर्व दिशा या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। पुस्तकों को पश्चिम दिशा में एक शेल्फ पर रखना चाहिए। पढ़ने, लिखने, पेंटिंग आदि के लिए मेज और कुर्सी को उत्तर-पश्चिम कोने में रखें। दवाओं को एक शेल्फ पर रखें जो उत्तर और उत्तर-पूर्व के बीच में रखी गई हों।
वास्तु शास्त्र के अनुसार गेस्ट बेडरूम ईशान कोण में होना चाहिए। जहां तक बिस्तर लगाने की बात है, तो कमरे के दक्षिण या पश्चिम भाग को प्राथमिकता दी जाती है। दक्षिण दिशा सोने की आदर्श दिशा है अर्थात सिर दक्षिण की ओर होना चाहिए। यह ध्यान रखें कि बिस्तर के ऊपर कोई बीम नहीं होनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार गेस्ट रूम की दक्षिण या पश्चिम दीवार पर अलमारी बनी होनी चाहिए।वास्तु के अनुसार गेस्ट रूम के लिए सफेद, नीले और हरे रंग के हल्के रंगों को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि ये शांति का प्रतीक हैं और हमारे मन-मस्तिष्क को स्थिर रखने में मदद करते हैं। डार्क शेड्स के इस्तेमाल से बचें क्योंकि इससे कमरा छोटा दिखता है और नकारात्मकता भी आकर्षित होती है। बाथरूम का दरवाजा बिस्तर के विपरीत नहीं होना चाहिए।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
माना जाता है कि आईना बेडरूम के चारों ओर की ऊर्जा को प्रभावित करती है। गलत दिशा में रखने से वहां रहने वाले लोगों को बेचैनी हो सकती है, उनकी चिंताएं बढ़ सकती हैं। इसलिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि अपने बिस्तर के सामने की दीवार पर आईना न लगाएं। अगर आप आईना के रूप में ड्रेसिंग टेबल का उपयोग कर रहे हैं, तो उसे भी सही दिशा में ही रखें। इसी तरह यदि आप अपने बेडरूम को डिजाइन कर रहे हैं, तो ड्रेसिंग टेबल को वास्तु अनुसार सही दिशा में रखें।
अपने बेडरूम को ऑफ-व्हाइट, बेबी पिंक या क्रीम पेंट करें। गहरे रंगों से बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार नवविवाहित जोड़े के बेडरूम को गुलाबी, हल्का नीला या सुखदायक पीला जैसे रंगों से डिजाइन किया जाना चाहिए। बच्चों के बेडरूम को हरे (जो विकास का प्रतिनिधित्व करता है) या पीले (खुशी और अध्ययन के लिए सहायक) रंग में पेंट किया जा सकता है।
यदि आप अपने बेडरूम में इंडोर प्लांट रखना चाहते हैं तो यह अवश्य ध्यान रखें कि कौन-सा पौधा बेडरूम के लिए उपयोगी है।
Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jhaबाथरूम के लिए वास्तु शास्त्र :
कई बार हम घर बनवाते या खरीदते समय सभी कमरों के वास्तु का विशेष ध्यान रखते हैं। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि हमारे घर में किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा प्रविष्ट न कर सके और घर में सकारात्मकता का आगमन हो, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। लेकिन ज्यादातर लोग एक सामान्य गलती करते हैं, घर के बाथरूम के वास्तु की जांच न करवाना। इस वजह से आपको जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।जबकि बाथरूम का वास्तु संगत होना बहुत जरूरी है। भले इस स्थान में हम ज्यादा समय नहीं बिताते हैं, लेकिन कई लोग कुछ क्षण शांतिपूर्ण व्यतीत करने के लिए बाथरूम में बैठना पसंद करते हैं। इस दृष्टि से देखा जाए, तो बाथरूम का वास्तु परक होना घर के सभी सदस्यों के खुशहाल जीवन के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए आप जब भी घर बनवाएं या खरीदें तो आपको घर के बाथरूम को वास्तु नियमों के अनुसार माप लेना चाहिए ताकि वास्तु दोष से बचे रह सकें।आपको एक महत्वपूर्ण बात बताते चलें कि अगर घर का बाथरूम वास्तु अनुसार नहीं होता है, तो जातक के घर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण घर के सभी सदस्यों को परेशानी का अनुभव करना पड़ता है। अपने घर के सभी सदस्यों को परेशानी से मुक्त रखने के लिए जरूरी है कि वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना।
वास्तुशास्त्र के अनुसार बाथरूम और शौचालय आपके घर की उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। बाथरूम को दक्षिण या दक्षिण पूर्व और दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं बनाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस दिशाओं में बाथरूम होने से घर के लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शौचालय का निर्माण करते समय उसमें टॉयलेट सीट जमीन से एक से दो फीट ऊंची रखनी चाहिए।
अधिकांश लोग वास्तु के अनुरूप बना घर खरीदना काफी पसंद करते हैं क्योंकि वास्तु अनुसार बना घर समृद्धि और खुशहाली में इजाफा करते हैं, घर के सभी सदस्यों को नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखते हैं। साथ ही घर में सदैव सकारात्मकता वास करती है, जिससे घर में सब कुशल मंगल होता है। मौजूदा समय में वास्तु संगत घर की काफी डिमांड बढ़ी है। इस तरह के घर को काफी प्राथमिकता भी दी जा रही है। इसमें वास्तु अनुसार बना बाथरूम भी अछूता नहीं है। आज के समय में लोग न सिर्फ घर के लिविंग रूम की बल्कि किचन और बाथरूम के वास्तु की भी पूरी जांच परख करते है। अत: घर के बाथरूम को भी बाकी कमरों की तरह वास्तु अनुसार बनाना चाहिए।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
वास्तु शास्त्र के अनुसार आपको घर के उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा में बाथरूम बनाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यदि किसी कारणवश आपके घर में उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम बन गया है, तो इससे घर में वास्तु दोष पैदा हो जाता है। आप वास्तुदोष से मुक्त हो सकते हैं, इसके लिए आपको निम्न उपाय आजमाने होंगे।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा में शौचालय होना जातक के लिए हानिकारक साबित होता है। अगर आपके घर में दक्षिण दिशा में बाथरूम है, तो वहां लाल, गुलाबी, नारंगी, बैंगनी जैसे हल्के रंगों का उपयोग करना चाहिए। अगर आपके घर का बाथरूम बड़ा है, तो आपको तटस्थ रंगों का प्रयोग करना चाहिए। इस तरह वास्तु अनुसार बाथरूम और शौचालय की जगह के लिए सही रंग चुनकर आप घर में उत्पन्न ऊर्जा को संतुलित कर सकते हैं।
अगर आपका बाथरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में है, तो आपको वास्तु के इन उपायों का पालन अवश्य करना चाहिए:
वास्तु अनुसार दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बाथरूम बनाने से जातक के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। आपको इस दिशा में बने शौचालयों वाले घर नहीं लेने चाहिए। अगर किसी कारणवश आपके घर का बाथरूम इसी दिशा की ओर है, तो आपको ऐसे उपाय अपनाने चाहिए जिससे वास्तुदोष को दूर किया जा सके। यहां हम आपको उन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं-
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वास्तु में दक्षिण-पूर्व दिशा आग की दिशा मानी जाती है, जो बाथरूम निर्माण में सहायक नहीं है, क्योंकि पानी और आग का एक ही दिशा में होना जातक के जीवन के लिए घातक होते हैं। यदि आपका बाथरूम, इसी दिशा में है, तो वास्तुदोष से छुटकारा पाना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कुछ वास्तु दोष दूर करने के उपाय-
वास्तु के अनुसार आपको अपने घर में शौचालय की सीट का निर्माण इस तरह से करना चाहिए कि इसका उपयोग करने वाले का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर हो। साथ ही इस दिशा में टॉयलेट सीट होने से परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। वास्तु के अनुसार शौचालय में एक खिड़की अवश्य होनी चाहिए, जो उचित ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित करने में मदद करे।
बाथरूम में शीशे की खासा उपयोगिता होती है। इसलिए मौजूदा समय में एक से एक बेहतरीन शीशे बाजार में मौजूद हैं। आमतौर पर ज्यादातर लोग अपने बाथरूम में किसी भी दिशा में शीशा लगा लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। शीशा किस दीवार पर लगेगा और किस दिशा में लगेगा, ये बातें बहुत महत्वपूर्ण है। अगर वास्तु के अनुकूल शीशा न लगाया जाए, तो इसका जातक के परिवार, उनके दांपत्य जीवन पर पड़ सकता है। मौजूद है बाथरूम में शीशा लगाने के लिए वास्तु टिप्स –
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बाथरूम को साफ-सुथरा और गंदगी मुक्त रखना चाहिए। आमतौर पर महिलाएं अपने बाथरूम की ऊपरी तौर पर खूब सफाई करती हैं। लेकिन बाथरूम के कैबिनेट्स में कई ऐसे सामान रखे होते हैं, जिसकी सफाई कई-कई महीनों तक नहीं होती है। इसमें बाथरूम में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट और इलेक्ट्रॉनिक एप्लायंस जैसे गीजर आदि शामिल हैं। इनकी भी समय-समय पर सफाई की जानी बहुत जरूरी है। साथ ही इन इक्विपमेंट को किस दिशा में रखना है, यह जानना भी बहुत जरूरी है।
वास्तु के अनुसार आपके बाथरूम के बाथ टब का आकार गोल या चौकोर (round or square) होना चाहिए। इसमें नुकीले किनारे नहीं होने चाहिए। साथ ही आपको इसे उत्तर, पूर्व, पश्चिम या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार बाथरूम मैट व्हाइट या नीले रंग के होने चाहिए और उन्हें बाथटब के पास रखना चाहिए। काले या लाल जैसे डार्क कलर्स के उपयोग से बचना चाहिए। बाथटब को बाथरूम के दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए। जो लोग अपने बाथरूम में सुगंधित मोमबत्तियों से स्पा जैसा माहौल बनाना चाहते हैं, वे इन मोमबत्तियों को बाथरूम के उत्तर-पूर्व दिशा में रख सकते हैं।
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वास्तु के अनुसार बाथरूम में एक खिड़की या उचित वेंटिलेशन की जगह होनी चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जाएं बाहर निकलती हैं और बाथरूम में प्राकृतिक रोशनी बनी रहती है। बाथरूम में खिड़कियां पूर्व, उत्तर या पश्चिम की ओर खुलनी चाहिए। इसके अलावा, बाथरूम की खिड़कियां बाहर की ओर खुलनी चाहिए।
वास्तु अनुसार बाथरूम के लिए डार्क कलर्स जैसे काला, डार्क ब्लू या लाल जैसे रंगों के उपयोग से बचना चाहिए। इन रंगों के टाइल्स भी नहीं लेने चाहिए और न ही बाथरूम को इन रंगों से पेंट करना चाहिए। दरअसल, इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा तो प्रवेश करती ही है, स्वच्छता की दृष्टि से भी ये रंग सही नहीं होते हैं। साथ ही गाढ़े रंग की वजह से बाथरूम कॉम्पैक्ट, छोटा और अधिक तंग लगने लगता है। इसके विपरीत बाथरूम, टॉयलेट में हल्के रंग जैसे कि बेज और क्रीम रंगों का उपयोग करना चाहिए। हल्के रंगों को शंति का प्रतीक माना जाता है इसलिए आपको बाथरूम में हल्के रंगो का चुनाव करना चाहिए।
वास्तु सिद्धांतों के अनुसार आपका बेडरूम, बाथरूम के पास नहीं होना चाहिए। साथ ही बाथरूम की दीवार आपके बेडरूम, रसोई घर और पूजा कक्ष जैसे पवित्र स्थानों से जुड़ी नहीं होनी चाहिए। अगर आपका घर छोटा है, जिस वजह से आप इस तरह की परेशानी से बच नहीं सकते हैं, तो बेडरूम में रखे अपने बेड की दिशा बदल लीजिए। बेडरूम में अपना बिस्तर बाथरूम की दीवार से दूर रखें। वास्तु शास्त्र के अनुसार नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए यह सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
वास्तु के अनुसार घर के बाथरूम में ड्रेन उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व में होनी चाहिए और बाथरूम का ढलान एक ही दिशा में होना चाहिए।
वास्तु कहता है कि बाथरूम का फर्श कभी भी बेडरूम और अन्य कमरों की ऊंचाई के बराबर नहीं होना चाहिए। इससे अलग बाथरूम का फर्श जमीनी स्तर से कम से कम एक फुट ऊंचा होना चाहिए। इसे ऊंचा करने के लिए आप अपने घर के बाथरूम के फर्श पर टाइलों का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन काले या लाल रंग की टाइलों के प्रयोग से बचें। वास्तु के अनुसार बाथरूम और शौचालय के फर्श पर नीला, सफेद या पेस्टल रंग का उपयोग सही माना जाता है।
वास्तु सिद्धांतों के अनुसार आपको घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में ओवरहेड टैंक रखना चाहिए। इससे आपको वित्तीय कल्याण हो सकता है। वास्तु में कहा गया है कि टंकी को कभी भी ईशान कोण या दक्षिण-पूर्व कोने में नहीं रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार आपको अपने बाथरूम और शौचालय को उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। साथ ही बाथरूम को दक्षिण, दक्षिण पूर्व या दक्षिण पश्चिम दिशा में नहीं बनवाना चाहिए, क्योंकि वास्तु में बाथरूम के लिए यह दिशा उचित नहीं मानी जाती है।
वास्तु अनुसार शौचालय को पूजा कक्ष के ऊपर या नीचे और बेडरूम के पास नहीं होना चाहिए। आपको इसे उत्तर-दक्षिण दिशा में बनवाना चाहिए। साथ ही कमोड को पश्चिम, दक्षिण या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
अपने घर के उत्तर-पूर्व, घर के बीचों-बीच और दक्षिण-पश्चिम कोने में शौचालय बनाने से बचना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिशा मानी जाती है, जो पूजा घर के लिए शुभ होती है। वास्तु के अनुसार बाथरूम के साथ टॉयलेट नहीं होना चाहिए। वास्तु में इसे नकारात्मक ऊर्जा का क्रेंद माना जाता है इसलिए इस दिशा में बाथरूम नहीं बनाना चाहिए। साथ ही इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बाथरूम किचन एरिया या पूजा कक्ष के पास न बनवाएं।
वास्तु के अनुासर घर के उत्तर दिशा में कभी भी शौचालय का निर्माण नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह भगवान कुबेर की दिशा मानी जाती है। साथ ही उत्तर दिशा में शौचालय का निर्माण करने से घर के सभी सदस्यों को नकारत्मक ऊर्जा प्रभावित कर सकती है। खासकर घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा सर पड़ सकता है।
वास्तु में शौचालय के दक्षिण की ओर सेप्टिक टैंक नहीं बनवाना चाहिए। इसका सबसे अच्छा स्थान घर के पश्चिम की ओर या घर के उत्तर-पश्चिम की ओर माना जाता है। साथ ही सेप्टिक टैंक घर के फर्श के स्तर से ऊंचा होना चाहिए।
अटैच्ड टॉयलेट-बाथरूम दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर नहीं बनवाना चाहिए। इसका निर्माण दक्षिण दिशा में करना बेहतर होता है।
बाथरूम में दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व में नल नहीं लगवाना चाहिए। साथ ही इस दिशा में पानी जमा न होने दें। नल और पानी के लिए पूर्व, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा उपयुक्त मानी जाती है।
शौचालय का निर्माण करवाते समय आपको वास्तु नियमों का ध्यान रखना चाहिए। अगर आप बाथरूम या टॉयलेट सीट को वास्तु नियमों के अनुसार नहीं लगवा रहे हैं, तो इससे वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। बाथरूम में वॉशबेसिन, नल, खिड़की, दरवाजे आदि की दिशा वास्तु अनुसार होनी चाहिए।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
| दिशा | प्रभाव |
|---|---|
| उत्तर दिशा | इस दिशा में बाथरूम और शौचालय बनाने से जातक के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। व्यापार और धन में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही जीवन में आने वाले नए अवसरों में भी बाधा उत्पन्न होती है। |
| उत्तर- पूर्वी दिशा | परिवार के सभी सदस्यों को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का अनुभव करना पड़ता है। |
| पूर्व दिशा | इस दिशा में शौचालय और बाथरूम बनाने से जातक को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही स्वास्थ्य से जुड़ी ये परेशानियां व्यक्ति के पाचन तंत्र और लीवर पर प्रभाव डालती हैं। |
| दक्षिण पूर्व दिशा | जातक को वित्तीय के साथ-साथ, वैवाहिक जीवन और बच्चों से जुड़ी परेशानियों का अनुभव करना पड़ता है। |
| दक्षिण दिशा | व्यक्ति के बिजनेस में घाटा हो सकता है और कानूनी काम में परेशानी का सामना करना पड़ता है। |
| दक्षिण पश्चिम दिशा | इस दिशा में टॉयलेट या बाथरूम होने से जातक के रिश्ते, स्वास्थ्य और करियर में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होती हैं। |
| पश्चिम दिशा | व्यक्ति को धन संपत्ति से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। |
| उत्तर पश्चिम दिशा | इस दिशा में शौचालय बनाने से व्यक्ति को संपत्ति बेचने में दिक्कत आ सकती है। साथ ही व्यक्ति को लोगों का सहयोग भी प्राप्त नहीं होता। |
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वास्तु के अनुसार नल या शॉवर बंद करने के बाद भी अगर पानी टपकता है, तो इसे अशुभ माना जाता है, क्योंकि इससे जातक के जीवन पर बुरा प्रभाव डालती है। साथ ही पानी की भी काफी बर्बादी होती, जिसे वास्तु के अनुसार सही नहीं माना जाता है। इसलिए आपको टपकते नलों को तुरंत ठीक करवाना चाहिए, क्योंकि इससे अनावश्यक खर्च और धन की हानि होने की आशंका बढ़ती है।
ज्यादातर लोगों के घरों में कार्यालय नहीं होता है। लेकिन कोविड के बाद से कई कंपनियों ने स्थाई रूप से वर्क फ्रॉम होम कल्चर को अपनाया है। यही कारा है कि अब कई लोगों के घरों में वर्कस्टेशन होने लगे हैं। इसे आप घर का कार्यालय भी कह सकते हैं। घर में कार्यालय बनाने हेतु भी कुछ नियमों का सख्ताई से पालन करना चाहिए। खासकर घर के कार्यालय की बात करें, तो वहां हर चीज सटीक जगह पर रखी होनी चाहिए ऐसा न करने पर वहां काम करने वाले व्यक्ति का काम बाधित हो सकता है, पैसों का आवागम रुक सकता है, नए आइडियाज भी प्रभावित हो सकते हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जब भी आप अपने घर के कार्यालय को बनवाएं, तो वहां के टॉयलेट रूम और उसकी दिशा का भी विशेष ध्यान रखें।वास्तु के अनुसार घर के कार्यालय में शौचालय के लिए सबसे अच्छा स्थान उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा को माना जाता है। वास्तु शास्त्र में कार्यालय के केंद्र (ब्रह्मस्थान) या कमरे के उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय नहीं बनाना चाहिए। साथ ही उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम कोनों में भी शौचालय बनाने से बचना चाहिए।
वास्तु के अनुसार बाथरूम में अंधेरा नहीं होना चाहिए बल्कि इसमें पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। अगर बाथरूम में खिड़कियां नहीं हैं, तो प्राकृतिक धूप का अनुकरण करने और स्वस्थ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ओवरहेड लाइटिंग फिक्स्चर में बल्ब का उपयोग कर सकते है। इसी प्रकार छोटे साइज के बाथरूम में भी सामान्य प्रकाश की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए। इसके लिए एक सेंट्रल सीलिंग लाइट पर्याप्त रहेगी। बड़े बाथरूम के लिए, जिसे अटैच्ड टॉयलेट होता है, इसके सभी कोनों में पर्याप्त रोशनी के लिए ओवरहेड फिक्स्चर का इस्तेमाल करना चाहिए।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
वास्तु शास्त्र के अनुसार आपको बाथरूम में फैमिली फोटो, बुद्ध की मूर्तियां, कछुआ, झरने, नदियों, मछलियों और हाथी की तस्वीर या मूर्तियां रखने से बचना चाहिए। आप बाथरूम में फूलों, पेड़ों, घास के मैदानों आदि की तस्वीरें लगा सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम को कभी भी सीढ़ी के नीचे वाले खाली स्थान में नहीं बनवाना चाहिए। दरअसल इस स्थान को हमेशा स्टोर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जहां घर के बेकार और पुराने सामान को रखा जा सके। इस दृष्टि से यह स्थान नकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करती है। ऐसे में यदि आप अपने बाथरूम को सीढ़ी के नीचे बनवाएंगे, तो इससे बाथरूम से उत्सर्जित होने वाली ऊर्जाएं आपके घर को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं। इससे वास्तु दोष भी उत्पन्न हो सकता है, जो घर के सभी सदस्यों की सफलता, स्वास्थ्य और समृद्धि की बाधक बन सकती है।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jhaघर के लिविंग रूम के लिए वास्तु :
विषयसूचि
किसी भी तरह के घर के लिए लिविंग रूम एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। असल में यही वह जगह है, जहां लोग अपने परिवार, दोस्तों के साथ मिलते हैं, ढरे सारी बातचीत करते हैं, हंसी ठिठौली करते हैं। यहां तक कि अपने जिंदगी जैसे करियर, संबंध आदि से जुड़े सभी महत्वपूर्ण फैसले यहीं लेते हैं। यह बात सिर्फ आधुनिक घरों के लिए नहीं है, बल्कि पारंपरिक घरों में भी लिविंग रूम इतना ही खास है। वैसे भी ज्यादातर लोग बाहर से जब घर लौटते हैं, तो सबसे पहले लिविंग रूम में ही कदम रखते हैं। कुछ देर यहां आराम करते हैं। इस तरह देखा जाए तो लिविंग रूम की महत्ता को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। इस वजह से वास्तु संगत घर होना काफी नहीं है, लिविंग रूम भी वास्तु परक होना बहुत जरूरी है। तभी घर की समृद्धि और खुशहाली सुनिश्चित हो सकती है।लिविंग रूम सिर्फ घर के सदस्यों के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि मेहमानों का स्वागत भी यहीं किया जाता है। यह भी एक कारण है कि लोग अपने लिविंग रूम की सजावट पर काफी ध्यान देते हैं। लिविंग रूम की सजावट को अगर वास्तु अनुकूल किया जाए, तो यह घर के स्वामी के लिए और परिवार के सदस्यों के लिए हितकर साबित हो सकता है।इसके अलावा, चूंकि लिविंग रूम सामाजिक गतिविधियों का केंद्र होता है। इसलिए, यह न केवल मेहमानों के लिए व्यवस्थित होना चाहिए, बल्कि आरामदायक भी होना चाहिए जिससे पूरा परिवार एक-साथ यहां पर कुछ निजी समय का आनंद ले सके। वास्तु शास्त्र के अनुसार लिविंग रूम का सही दिशा में होना, उसमें इस्तेमाल किए गए रंग, साज-सजावट के सामान का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
लिविंग रूम घर का मुख्य केंद्र होता है इसलिए हम इसे सबसे अच्छे तरीके से सजाना चाहते हैं। लेकिन लिविंग रूम की सजावट सिर्फ उसके लुक्स को बेहतर करने के लिए नहीं होना चाहिए, यहां की सजावट से आपके मन को सुकून भी मिलना चाहिए। साथ ही वास्तु के नियमों का भी पालन करना चाहिए ताकि आप एक सफल, स्वस्थवर्धक जीवन जी सकें और आपका भाग्य उज्जवल हो सके। इसलिए वास्तु के अनुसार अपने लिविंग रूम की सजावट के दौरान सावधानी बरतना जरूरी है। तभी यहां से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और घर के सभी सदस्यों के संबंधों के बीच मधुरता बढ़ेगी। अपने लिविंग रूम को सकारात्मक और खुशहाल जगह बनाने में वास्तु की टिप्स काफी मदद करते हैं।
आमतौर पर लिविंग रूम को बैठक कक्ष या लाउंज के रूप में संबोधित किया जाता है। लिविंग रूम एक ऐसा कमरा होता है, जहां विभिन्न कार्य किए जाते हैं। उदाहरण के लिए यहां परिवार अपना मनोरंजन करता है, आराम करता है, किताबें पढ़ता है, परिवार के सभी सदस्य साथ मिलकर गपशप करते हैं, बच्चों के साथ समय बिताते हैं। यहां तक कि कुछ लोग लिविंग रूम में ही खाना-पीना भी करते हैं। इस तरह देखा जाए तो लिविंग रूम मल्टीपल पर्पस यानी बहुउद्देश्य के लिए काम आता है।इस लिहाज से देखा जाए, तो लिविंग रूम का व्यवस्थित होना बहुत जरूरी है। व्यवस्थित लिविंग रूम जीवन को अच्छा और खुशहाल बनाता है। यहां मौजूद हर चीज या सामान उस घर में रहने वाले लोगों के लिए अनुकूल या प्रतिकूल बनाता है।
आमतौर पर घर का मुख्य द्वार लिविंग रूम का ही एंट्रेंस होता है। इसलिए यह प्रवेश द्वार घर के हर सदस्य के लिए बहुत जरूरी है। इसका सही दिशा में होना यह तय करता है कि घर में किस तरह की ऊर्जा का प्रवेश होगा। लिविंग रूम के एंट्रेंस के लिए उत्तर, पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशाएं सबसे उपयुक्त होती हैं। यहां से घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती हैं। इसके अलावा दरवाजा इस तरह बना होना चाहिए कि उसके खुलते ही घर में रोशनी आ सके। अपने लिविंग रूम के एंट्रेंस गेट में नेमप्लेट जरूर लगवाएं। दरअसल वासतु विशेषज्ञों के अनुसार सही मटीरियर का बना नेमप्लेट का भी घर में रह रहे सदस्यों के लिए अहम होता है। इसके साथ ही लिविंग रूम के एंट्रेंस में (अगर वह घर का मुख्य द्वार भी है) तोरण लगाना भी अच्छा विचार हो सकता है। हिंदू धर्म के अनुसार दरवाजे पर प्राकृति पत्तों से बना तोरण काफी लाभकारी होता है। लेकिन इन पत्ते के बने इस तोरण को समय-समय पर बदलना आवश्यक होता है। इसके अलावा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अपने लिविंग रूम के दरवाजे पर कभी भी जूतों का रैक न रखें। जूते अपने साथ कई तरह की नकारात्मक ऊर्जाएं लेकर आती हैं। यदि इन्हें ठीक लिविंग रूम के सामने रखा जाए, तो दरवाजा खुलते ही वह ऊर्जाएं घर में प्रवेश कर सकती हैं और घर के सभी सदस्यों को नुकसान पहुंचा सकती है।
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आमतौर पर घर का मुख्य द्वार और लिविंग रूम का मुख्य द्वार एक ही होता है। मुख्य द्वार में ऐसा कोई सजावटी समान नहीं रखा जाना चाहिए, जो घर में नकारात्मकता को बढ़ावा दे सकता है। मुख्य द्वार पर ऐसे सजावटी सामान रखें, जो सकारात्मक ऊर्जा के मुक्त रूप से प्रवाहित होने में मदद करता है। इसमें ओम, क्रॉस, स्वस्तिक आदि जैसे पवित्र प्रतीक शामिल हैं। टूटे हुए फर्नीचर, कूड़ेदान आदि जैसी वस्तुओं को मुख्य द्वार पर रखने से बचें।
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फर्नीचर एक ऐसी चीज होती है, जिस पर बैठते ही आपकी थकान उतर जाती है या आप आराम महसूस करते हैं। कोई ना कोई फर्नीचर लगभग हमारे घर के हर कमरे में मौजूदा होता है। आपके लिविंग रूम में भी कोई ना कोई फर्नीचर जरूर होगा। वास्तु शास्त्र के अनुसार कमरे के पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में सोफे जैसे भारी फर्नीचर रखे जा सकते हैं। हालांकि टेलीविजन सेट और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जैसी वस्तुओं के लिए वास्तु में अलग नियम हैं। वास्तु के मुताबिक इन चीजों को रखने की आदर्श दिशा है, दक्षिण-पूर्व दिशा।
यदि आपका लिविंग रूम, डाइनिंग रूम की तरह भी यूज किया जाता है, तो यहां डाइनिंग एरिया अलग दिशा में बनाया जाना चाहिए। वास्तु की मानें तो लिविंग रूम में डाइनिंग एरिया के लिए पूर्व या दक्षिण-पूर्व की दिशा बेहतर होती है।
आपका लिविंग रूम आपकी जीवनशैली, रहन-सहन के बारे में बहुत कुछ बताता है। आपके बारे में लोगों की पहली राय आपके लिविंग रूम से ही बनती है। इसलिए जरूरी है कि लिविंग रूम में आप जो भी साज-सजावट कर रहे हैं, उसमें उसके रंगों का विशेष ध्यान दें। वास्तु के अनुसार, घर के प्रत्येक कमरे के लिए विशिष्ट रंग होते हैं जो सकारात्मक ऊर्जा को लाने में मदद करते हैं।
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लिविंग रूम को सजाने के लिए डेकोरेटिव आइटम के साथ-साथ आप पेंटिंग्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। घर में शांति और स्थिरता के लिए लिविंग रूम में बहती नदी या मछली की पेंटिंग लगाएं। आप चाहें तो इसी तरह की अन्य प्रकृति से प्रेरित पेंटिंग लगा सकते हैं। इनमें उगता हुआ सूरज, ढलती सुबह या एक खूबसूरत शाम जैसे पेंटिंग अच्छे विकल्प हो सकते हैं। इन्हें दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर वाली दीवार पर टांगें। ये दिशाएं वॉल पेंटिंग के लिए सबसे अच्छी दिशा मानी जाती है।प्राकृतिक रंगों वाली तस्वीरें आपके लिविंग रूम के लिए चमत्कार कर सकती हैं। जैसा कि पहले ही बताया गया है कि प्राकृतिक दृश्यों वाली पेंटिंग जैसे फूल, झरना, बहती नदियों और पहाड़ों की पेंटिंग लगा सकते हैं। लेकिन आप ध्यान रखें कि अपने घर में कभी भी अमूर्त चित्रों को न लगाएं। इस तरह की पेंटिंग्स नकारात्मकता को दर्शाते हैं।
कई घरों में मंदिर के अलग से एक कमरा बनाया जाता है। लेकिन ज्यादातर घरों में मंदिर आज भी लिविंग रूम, स्टडी रूम या अन्य कमरों में रखे जाते हैं। घर के जिस भी हिस्से में मंदिर होता है, वह स्थान पूजनीय हो जाता है। वास्तु के अनुसार घर में पूजा का मंदिर सकारात्मक ऊर्जा लाता है और वहां शांतिपूर्ण माहौल बनाता है। जब वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर की दिशा तय की जाती है, तो यह घर और उसमें रहने वालों लोगों के लिए स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशी ला सकती है।लिविंग रूम में मंदिर रखने की सबसे अच्छी दिशा उत्तर-पूर्व या ईशान कोण है, जिसे वास्तु शास्त्र के अनुसार काफी शुभ माना जाता है। हां, आप लिविंग रूम में मंदिर या पूजा की जगह रख सकते हैं। वास्तु के अनुसार इस जगह को उत्तर-पूर्व दिशा में बनाया जा सकता है।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
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| सामान | वास्तु के अनुसार सर्वश्रेष्ठ निर्देशन |
|---|---|
| टेलीफ़ोन | दक्षिण-पश्चिम |
| बिजली के उपकरण | दक्षिण-पूर्व |
| फर्नीचर | दक्षिणी और पश्चिमी कोने |
| शोकेस और अलमारी | दक्षिण-पश्चिम कोना |
| कूलर या एसी | पश्चिम या उत्तर |
| जल फव्वारे, एक्वैरियम को दर्शाने वाली पेंटिग | उत्तर से पूर्व क्षेत्र |
| झूमर | थोड़ा पश्चिम की ओर, घर के बीचों बीच नहीं। |
| दरवाज़ा | पूर्व या उत्तर |
| खिड़कियाँ | पूर्व या उत्तर |
Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jhaपूजा कक्ष के लिए वास्तु :
विषयसूची
हमारे जीवन को सुगम बनाने एवं कुछ अनिष्टकारी शक्तियों से रक्षा करने में हमारी मदद करता है। वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है, जो हमें नकारात्मक ऊर्जा से दूर और सुरक्षित वातावरण में रखने का काम करता है। जिस प्रकार घर बनवाते समय वास्तु का विशेष ध्यान रखा जाता है ठीक उसी प्रकार घर के हर कमरे को वास्तु के अनुरूप बनवाना चाहिए। इसी के साथ हमारे घर का एक महत्पूर्ण स्थान पूजा कक्ष होता है, जो एक पवित्र स्थान है। इसलिए घर में पूजा कक्ष को वास्तु के नियमों के अनुसार बनाना बहुत जरूरी है।भारतीय संस्कृति के अनुसार पूजा कक्ष के बिना घर अधूरा माना जाता है। पूजा कक्ष को घरों में पवित्र और महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र होता है। पूजा कक्ष घर का वह स्थान है, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने का काम करता हैं। अगर वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पूजा कक्ष बनाया जाए तो, यह घर और परिवार के लिए सुख-शांति के साथ समृद्धि भी लाता है। आइए जानते हैं कि कैसे होना चाहिए वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष।
वास्तु शास्त्र में पूजा कक्ष के स्थान का विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि इस जगह हम भगवान के सामने प्रार्थना करते हैं और अपनी मजबूरिया, चाहतें, जरूरतें बताते हैं। पूजा कक्ष के लिए उत्तर-पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है क्योंकि यह दिशा घर में रहने वाले सभी सदस्यों के जीवन में सौभाग्य लाने का काम करती है।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
यदि आप किसी फ्लैट या अपार्टमेंट में रहते हैं तो ध्यान रखें कि पूजा कक्ष की छत पर पिरामिड जैसी संरचना होनी चाहिए, क्योंकि यह डिजाइन पूजा कक्ष के लिए शुभ होने के साथ-साथ सकारात्मकता ऊर्जा को आकर्षित करने का काम करती है। साथ ही आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पूजा कक्ष के दरवाजे और खिड़कियां उत्तर या पूर्व की ओर खुलती हो। अगर हम बात करें दीपक और अग्निकुंड की तो इसकी शुभ दिशा दक्षिण-पूर्व दिशा होती हैं। पूजा कक्ष में तांबे के बर्तन का प्रयोग करना काफी शुभ माना जाता है।
जिस तरह पूजा कक्ष को वास्तु के अनुरूप होना चाहिए, उसी तरह पूजा कक्ष में मूर्तियों का स्थान भी वास्तु सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए। आपको बता दें कि मूर्तियों को इस तरह रखना चाहिए कि उनका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो। मूर्तियों को कभी भी एक-दूसरे के सामने नहीं रखना चाहिए। दीवार और मूर्तियों के बीच थोड़ा सा गैप अवश्य रखें। पूजा क्षेत्र को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए, जिससे सकारात्मक माहौल बना रहे। इसके अलावा, घर पर मंदिर की योजना बनाते समय अगरबत्ती से निकलने वाले धुएं को बाहर निकालने की व्यवस्था बनानी चाहिए।
पूजा कक्ष में अव्यवस्था और धूल दोनों ही घर में नकारात्मकता को बढ़ावा देते हैं और आपके पूजा कक्ष में ऊर्जा के प्रवाह को बाधित करते हैं। इसलिए अपने घर के इस पवित्र स्थान में साफ-सफाई बनाए रखना जरूरी होता है।
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वास्तु विज्ञान के अनुसार, पूजा कक्ष का रंग सकारात्मक उर्जा के लिए महत्पूर्ण माना जाता है। साथ ही हर रंग के अपने मायने हैं और उसका अपना महत्व है। रंग प्रकृति के तत्वों के प्रतिनिधि भी करते हैं। जब इन वास्तु के अनुसार घर में रंग करवाया जाता है तो यह घर में शुभता को लाने का काम करते हैं।वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष के लिए सफेद, हल्का पीला और नीला रंग सबसे शुभ रंग माने जाते हैं। इन रंगों का अपना एक अलग महत्व होता है। सफेद रंग शुद्धता का प्रतीक होता है, तो वहीं नीला रंग शांति लाने का काम करता है। आपको बता दें कि पूजा कक्ष में काले, बैंगनी और गहरे रंगों से बचना चाहिए।साथ ही हल्के रंग पूजा कक्ष के फर्श के लिए लाभकारी साबित होते हैं इसलिए आप इस स्थान के लिए सफेद संगमरमर या क्रीम रंग की टाइलें चुन सकते हैं।
जैसा कि आप सब जानते हैं कि घर के लिए मंदिर एक पवित्र स्थान है, जिसे वास्तु शास्त्र के अनुसार अच्छी तरह से प्रकाशित किया जाना चाहिए। हिंदू परंपरा के अनुसार, घर को रोशन करने और अधंकार को मिटाने के लिए तेल के दीयों का उपयोग किया जाता है। प्रकाश सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है और यह बहुत महत्वपूर्ण होता है कि पूजा कक्ष में प्राकृतिक प्रकाश का स्रोत मौजूद हो।आपको बता दें कि पूजा कक्ष को हमेशा रोशन और उज्ज्वल रखना चाहिए इसलिए आप कृत्रिम रोशनी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, जिनका उपयोग सूर्यास्त के बाद रोशनी करने के लिए किया जा सकता है। इतना ही नहीं, आप चाहें तो स्पॉटलाइट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
घर का मंदिर पूजा कक्ष की दहलीज के माध्यम से पवित्र ऊर्जा को घर में फैलाता है। जिस तरह घर के मुख्य द्वार से आप अंदर बाहर जाते हैं, उसी तरह पूजा कक्ष के दरवाजे से भी पवित्र ऊर्जा पूरे घर में फैलती है। वास्तु के अनुरूप ही पूजा कक्ष के दरवाजे को बनाना चाहिए ताकि आपके जीवन में आपको सौभाग्य की प्राप्ति हो।पूजा कक्ष में सिर्फ एक ही दरवाजा होना चाहिए। दरवाजे के बिना मंदिर, घर के अन्य कमरों की तरह ही समझा जाता है। इसी के साथ दरवाजों का चयन करते समय, लकड़ी को प्राथमिक सामग्री के रूप में चुनना चाहिए। लेकिन यह सुनिश्चित अवश्य करें कि पूजा कक्ष में एक ही दरवाजा हो, जोकि कीड़े-मकौड़ों को मंदिर से दूर रखे।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha
पूजा कक्ष एक ऐसा स्थान होता है, जहां भगवान का वास होता है इसलिए इस जगह कूड़ेदान रखने से बचना चाहिए। साथ ही वास्तु के अनुसार, पूजा कक्ष में मृत्यु, युद्ध आदि जैसी अनिष्ट शक्तियों को प्रदर्शित करने वाली तस्वीरों को इस स्थान पर नहीं रखना चाहिए। अगर आप यहां पर पानी रखना चाहते हैं, तो तांबे के बर्तन में ही रखना शुभ माना जाता है।
माना जाता है कि घर के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में मंदिर बनाने पर आमतौर पर कई दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। घर का दक्षिण-पश्चिमी कोना उत्तर-पूर्वी कोने से बिल्कुल विपरीत होता है, इसलिए यहां की ऊर्जा देवी-देवताओं के पूजा-पाठ के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है।दक्षिण-पश्चिमी कोना वास्तु के अनुसार पित्र पूजन के लिए निर्धारित किया गया है। इस दिशा में भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है, जिससे कर्मचारियों को अपनी काबिलियत बढ़ाने और बेहतर ट्रेनिंग करने में सहायता मिलती है, परंतु इनकी जगह किसी अन्य देवी-देवता की स्थापना इस जगह नहीं करनी चाहिए क्योंकि वास्तु शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि यदि अन्य देवी-देवताओं का मंदिर इस दिशा में बनाया जाता है तो लोगों को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ सकता है।साथ ही उनके बिजनेस में बड़ा घाटा हो सकता है या किसी प्रकार की हानि भी हो सकती है। इसलिए घर के दक्षिण-पश्चिमी कोने में अपने पित्रों के चित्र स्थापित करने चाहिए और उनसे संबंधित पूजा पाठ को इस दिशा में किया जा सकता है। इस दिशा में मंदिर बनाना उचित नहीं माना जाता हैं।यदि आप अपने घर में मंदिर बनाते समय इन विशेष बातों का ध्यान रखें तो निश्चित ही आपके घर में सुख समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आएगी। घर के लोग भी प्रसन्न रहेंगे। मुसीबतें और दुःख तकलीफ भी आसानी से दूर हो जाएंगी। इस तरह आप एक आप एक सुखी जीवन जी पाएंगे।
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घर के मंदिरों में ज्यादा बड़ी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए।ऐसा माना जाता है कि तांबे या संगमरमर के बर्तन को उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। पानी को साफ और ताजा रखने के लिए उसे रोज बदलें।पूजा कक्ष के दक्षिण-पूर्व कोने में दीया जलाना चाहिए। ऐसा करने से जातक के जीवन का अंधकार दूर होता है।प्रार्थना क्षेत्र में मृत/पूर्वजों की तस्वीरें रखने से बचें।इस क्षेत्र को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखें।पूजा कक्ष में गहरे रंग नहीं करवाने चाहिए। गहरे रंग पूजा कक्ष के लिए शुभ नहीं होते हैं।पूजा कक्ष में जल्दी हुई माचिस की तिल्लियों को नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष उत्तर या पूर्व दिशा में ही होना चाहिए।मंदिर में भगवान गणेश जी की मूर्ति अवश्य रखनी चाहिए, इससे घर में सुख समृद्धि आती है।मंदिर में खंडित मूर्ति नहीं रखनी चाहिए।पूजा कक्ष का रंग सफेद या कोई हल्का रंग होना चाहिए।शयन कक्ष में पूजा कक्ष नहीं होना चाहिए।Book Appointment With India’s No -1 Astrologer Raushan kumar Jha